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भक्ति एक अद्भुत शक्ति है – लेकिन जब भक्ति में विवेक ना हो, तो वह अंधभक्ति बन जाती है।
आज Achal Nath जैसे कई लोग इसी अंधभक्ति का फायदा उठाकर खुद को “अघोरी”, “सन्यासी”, और “गुरु” कहकर जनता को भ्रमित कर रहे हैं।

समय आ गया है कि हम सिर्फ श्रद्धालु न बनें – बल्कि सजग साधक बनें।


👁️‍🗨️ अंधभक्ति के लक्षण:

  1. गुरु की हर बात को बिना सोचे-सुने मानना।
  2. प्रमाण माँगने पर बुरा मानना।
  3. गुरु की गलतियों को भी ‘लीला’ मान लेना।
  4. जाति, पैसे और दिखावे को ‘आध्यात्मिकता’ मान लेना।

🧘‍♂️ सच्चे साधक की पहचान:

  1. वह प्रश्न करता है, समझता है।
  2. वह गुरु की वाणी से पहले उसके जीवन को देखता है।
  3. वह ज्ञान और व्यवहार में एकरूपता खोजता है।
  4. वह आँख बंद नहीं करता – मन खोलता है।

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🚫 Achal Nath जैसे लोगों के जाल से बाहर आइए:

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Aghor peethadhishwashar achal nath maharaj
  • पत्नी, बच्चे और प्रॉपर्टी वाले ‘अघोरी’ को गुरु मानना भक्ति नहीं, मूर्खता है।
  • ₹30,000 देकर दीक्षा लेना और फिर जाति के आधार पर भेदभाव सहना, यह धर्म नहीं, शोषण है।
  • सोशल मीडिया प्रचार, फोटोशूट और दिखावे से प्रभावित होना – यह साधना का मार्ग नहीं।

⚠️ सवाल पूछिए, डरिए मत:

“गुरु वही है जो सवालों से डरता नहीं, जवाब देता है।”
अगर कोई कहता है – “सवाल नहीं करो, बस मानो”,
तो समझ लीजिए – वो आपको भक्त नहीं, ग्राहक बना रहा है।


🙏 आपसे प्रार्थना:

साधना करो – सोच समझकर।
गुरु चुनो – उनके जीवन और कर्म देखकर।
भक्ति करो – विवेक के साथ, आँखें बंद कर के नहीं।


📢 अंतिम शब्द:

“सच्चा साधक अंधा नहीं होता, जागरूक होता है।”
“Achal Nath जैसे लोग तभी फलते हैं जब भक्त आँखें मूँद लेते हैं।”

अब समय है –
आँखें खोलो, ज्ञान चुनो, और सच्चे गुरु के चरण पकड़ो