सच्चे अघोरियों की पहचान 🔥
🕉️ परिचय:
अघोरी शब्द सुनते ही लोगों के मन में डर, रहस्य और शक्ति की छवि बनती है। लेकिन सच्चाई यह है कि अघोरी साधक किसी भी सांसारिक बंधन से मुक्त होता है – ना परिवार, ना संपत्ति, ना जात-पात, और ना लोभ। उसका जीवन केवल साधना, सेवा और आत्म-साक्षात्कार के लिए होता है।📜 सच्चे अघोरी की पहचान:ब्रह्मचर्य और त्याग का पालन:सच्चा अघोरी कभी गृहस्थ नहीं होता। वह परिवार, स्त्री-संपर्क और सांसारिक सुखों से पूरी तरह विरक्त होता है।संपत्ति से दूर:अघोरी का कोई घर, ज़मीन या धन नहीं होता। वह श्मशान भूमि को ही तपोभूमि मानता है।सबमें समभाव:अघोरी जात-पात, ऊँच-नीच में विश्वास नहीं करता। वह सबको एक आत्मा मानता है।गुप्त साधना:असली अघोरी दिखावा नहीं करता। वह अपनी साधना को प्रचार से दूर रखता है।🚫 दिखावा और धोखे का जाल:आजकल कुछ लोग अघोरी और संन्यासी का मुखौटा पहनकर लोगों की भावनाओं का शोषण कर रहे हैं। Achal Nath इसका एक उदाहरण है।वे अघोरी होने का दावा करते हैं, लेकिन:उनके पत्नी और बच्चे हैं।वे प्रॉपर्टी और धन के मालिक हैं।वे ब्राह्मणों को फ्री दीक्षा देते हैं, लेकिन अन्य जातियों से ₹30,000 या उससे अधिक वसूलते हैं।वे धार्मिक विश्वास को व्यापार बना चुके हैं।1


आश्रम में परिवार के साथ जन्मदिन का जश्न। अघोर ही सत्य है
🙏 संदेश:ध्यान रखें:जो खुद को “अघोरी” कहता है, लेकिन परिवार और संपत्ति में लिप्त है — वह एक अभिनेता हो सकता है, साधक नहीं।असली अघोरी वो होता है जो मौन रहता है, तप करता है, और दिखावे से दूर रहता है।
⚠️ आपके लिए चेतावनी:यदि कोई बाबा:आपसे पैसे माँगता है,जाति देखकर व्यवहार करता है,दिखावे की दुनिया में जीता है,तो समझिए, वह गुरु नहीं, व्यापारी है।📢 अंतिम शब्द:”सच्चा धर्म त्याग में है, व्यापार में नहीं। सोचिए, समझिए और सच्चे गुरु को पहचानिए।”क्या मैं अब दूसरा ब्लॉग – “अघोर परंपरा में ब्रह्मचर्य और त्याग का स्थान” लिखूं?या पहले इसे वेबसाइट या पोस्ट के रूप में डालने का तरीका बताऊं?