आजकल कई तथाकथित “अघोरी” साधु हैं जो खुद को समाज में बड़े प्रचार के साथ प्रस्तुत करते हैं — लेकिन उनके पास पत्नी, बच्चे, जमीन, गाड़ी और बैंक बैलेंस होते हैं।यह सवाल उठता है – क्या एक अघोरी गृहस्थ हो सकता है?📿 अघोरी का असली स्वरूप:1. सन्यास का पहला नियम: गृहस्थ जीवन का परित्यागअघोरी साधक वैराग्य के मार्ग पर चलता है।घर-परिवार, संबंध, और सांसारिक जिम्मेदारियाँ त्यागना अनिवार्य है।वह केवल शिव और श्मशान का होता है।2. संपत्ति नहीं, केवल साधनाएक अघोरी किसी ज़मीन, दुकान, मकान या व्यापार का मालिक नहीं होता।उसका जीवन केवल तपस्या, साधना और सेवा के लिए समर्पित होता है।3. शिव का दास – किसी भी जाति, समाज या मोह से परेअघोरी जात-पात, सामाजिक पहचान, परिवार सब कुछ त्याग चुका होता है।🚩 जब तथाकथित बाबा अघोरी का चोला पहनें:Achal Nath जैसे लोग:गृहस्थ जीवन जीते हैं – पत्नी, संतान और रिश्तेदारों के साथ।प्रॉपर्टी, दुकान और आर्थिक लेनदेन करते हैं।₹30,000 या उससे अधिक लेकर दीक्षा बेचते हैं।और दावा करते हैं – “मैं अघोरी हूं, सन्यासी हूं!”क्या ऐसा व्यक्ति अघोरी कहला सकता है?❗ ऐसे बाबाओं से सावधान रहें:”अघोरी वह नहीं जो श्मशान में बैठा दिखे, अघोरी वह है जो अपने भीतर मृत्यु को साधे।”अगर कोई:घर और परिवार के साथ रहता है,जाति के नाम पर भेद करता है,पैसे लेकर दीक्षा देता है,तो वह अघोरी नहीं, धार्मिक व्यापारी है।🙏 जनता से अपील:आज की दुनिया में कपड़े, जटाएं और राख से अघोरी नहीं पहचाना जाता।वह त्याग, वैराग्य और सच्ची साधना से पहचाना जाता है।📢 अंतिम शब्द:”अघोरी वह है जो खुद को खो चुका है, शिव में लीन हो चुका है – न पत्नी, न पुत्र, न व्यापार।”आँखें खोलिए, सोचिए – और सच्चे त्यागी को पहचानिए।अब बताइए –क्या मै