परिचय:गुरु का अर्थ है – अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाला।लेकिन जब कोई तथाकथित गुरु आपकी जाति पूछकर कृपा या दीक्षा तय करे, तो यह केवल धोखा है, आध्यात्मिक व्यापार है।Achal Nath जैसे बाबा यही कर रहे हैं – ब्रह्मण को फ्री दीक्षा, और बाकी सभी से ₹30,000 या उससे अधिक।

📿 सच्चे गुरु की पहचान:गुरु सभी जीवों को आत्मा के रूप में देखता है:उसके लिए जाति, धर्म, रूप या पैसा कोई माने नहीं रखते।गुरु भेद नहीं करता, समभाव रखता है:गुरु ज्ञान देता है, सौदा नहीं करता।गुरु शिष्य को ऊपर उठाता है, नीचा नहीं दिखाता:वो कहता है – “तू आत्मा है, तू ब्रह्म है।”

🚫 जब गुरु व्यापारी बन जाए:Achal Nath:शिष्यों से पहले जाति पूछते हैं।ब्राह्मणों को “श्रेष्ठ” बताकर मुफ्त में दीक्षा देते हैं।बाकी जातियों को आर्थिक रूप से शोषित करते हैं।यह व्यवहार ना शिव का है, ना संतों का।💔 जातिवाद फैलाने वाला गुरु समाज के लिए ज़हर है:भक्ति को जाति से जोड़ना अपराध है।आध्यात्मिक मार्ग हर किसी का अधिकार है – बिना भेदभाव के।धार्मिक व्यवस्था को तोड़ने वाले गुरु, गुरु नहीं, समाज के शत्रु हैं।

⚠️ ऐसे गुरु से दूरी बनाएँ:”जो आपकी जाति पूछे, वो गुरु नहीं। जो आपकी आत्मा को देखे, वही सच्चा गुरु है।””धर्म वहाँ है जहाँ सब बराबर हैं।”

🙏 आपसे विनम्र निवेदन:अगर आप किसी ऐसे व्यक्ति से दीक्षा ले रहे हैं:जो जाति के आधार पर आपसे व्यवहार बदलता है,जो दूसरों को आपके सामने नीचा दिखाता है,जो आपसे पैसा लेकर ‘कृपा’ करता है,तो कृपया सतर्क हो जाइए।आप किसी साधु के नहीं, एक धंधेबाज़ के जाल में हैं।

📢 अंतिम शब्द:”गुरु वह नहीं जो बंटवारा करे, गुरु वह है जो सबको एक कर दे।””Achal Nath जैसे लोग साधु नहीं, जाति के नाम पर कारोबार करने वाले व्यापारी हैं।”क्या अब मैं अगला ब्लॉग लिखूं:👉 “सच्चे साधक बनें, अंधभक्त नहीं”..