परिचय:भारत में आध्यात्मिक मार्ग सबके लिए समान माना गया है – चाहे कोई किसी भी जाति, वर्ग, या क्षेत्र का हो। लेकिन जब कोई बाबा ब्राह्मण बच्चों को दीक्षा मुफ्त में दे और बाकियों से ₹30,000+ वसूल करे, तो यह सिर्फ धार्मिक शोषण नहीं, बल्कि जातिगत व्यापार है।Achal Nath इसी भेदभाव का जीवंत उदाहरण हैं।

अब प्रश्न ये है अगर हमारे गुरुजी पर कोई आरोप लगा रहा है तो मीडिया चैनल वाले बात की जद तक जाके तहकीकात करके फिर सच सामने लायेगी या सच सिर्फ गुरुजी के यूट्यूब आईडी से पोस्ट होगा ?? अब ये पोस्ट आने के बाद ये सारे मीडिया चैनल वाले जिनके लोगो वीडियो में मैं इस्तमाल हुए वो जवाब दे कि क्या वो सच कह रहे हैं कि गुरुजी मुफ्त में दीक्षा देते हैं ??? अगर हा तो फिर शुद्ध भारत भर में जो हजारो शिष्य हैं गुरुजी के जो ब्राह्मण नहीं उन्हें उन्होंने गुरुजी ने अपने आश्रम में नहीं रखा और सिर्फ दीक्षा के नाम पर उनसे पैसे लेके हवन करवा दिया ??? ये हवन से एक दिन में कोंसी दीक्षा दे दी की 30000 शुरुआती कीमत है और उसके बाद ऐसा कौन सा मंत्र दे रहे हैं जिसका जाप सारा ज्ञान आ जाए .. और अगर मंत्र देना है तो आश्रम में सिर्फ ब्राह्मण क्यों ??? अब ये सवाल है उन मीडिया वालो के लिए और सरकार के लिए जिनकी ज़िम्मेदारी है जनता तक सच पोहोचाओ

🔍 आध्यात्मिक मार्ग में भेदभाव नहीं होता:गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागूं पाय:– कबीरदास जी ने कहा था, सच्चा गुरु वही है जो सबको समान देखे।शिव साधना का कोई जात नहीं:– अघोर परंपरा में हर व्यक्ति शिव का अंश है, फिर चाहे वह किसी भी जाति का हो।दीक्षा का आधार केवल श्रद्धा और समर्पण:– ना धन, ना जात, ना कुल; केवल भक्ति चाहिए।

🚫 Achal Nath द्वारा किया गया भेदभाव:ब्राह्मण बच्चों को मुफ्त दीक्षा:“अगर आप ब्राह्मण हैं, तो आपसे शुल्क नहीं लिया जाएगा।”क्या यह सच्ची साधुता है?अन्य जातियों से ₹30,000 से ₹51,000 तक शुल्क:एक ही दीक्षा, एक ही मंत्र – पर अलग-अलग रेट?यह भेदभाव और शोषण का सबसे घिनौना रूप है।धर्म को जातिगत रूप में बेचना:Achal Nath जैसे बाबा जाति के नाम पर धर्म की मंडी चला रहे हैं।जातिवादी मानसिकता का प्रचार:ऐसे बाबा जातिगत श्रेष्ठता का भ्रम फैलाते हैं, जो भारत के सामाजिक तानेबाने को तोड़ता है।⚠️ अगर आप गैर-ब्राह्मण हैं तो सावधान:”अगर गुरु बनने से पहले वह आपकी जाति पूछे, तो समझिए वो आपका शोषण करेगा।”Achal Nath का यह मॉडल साफ दिखाता है कि:वह शुद्ध व्यवसायी दृष्टिकोण से दीक्षा बाँट रहे हैं।ब्रह्मचर्य, समता, और सन्यास सिर्फ शब्द हैं, पालन नहीं।🙏 आपसे अपील:”गुरु वह नहीं जो जाति देखकर कृपा करे।””गुरु वह है जो सभी को शिव के समान देखे।”ध्यान रखें:सच्चा साधक जाति नहीं देखता, आत्मा देखता है।जहाँ जातिवाद है, वहाँ आध्यात्मिकता नहीं।📢 अंतिम शब्द:”अगर आपके धर्म में जाति के आधार पर शुल्क तय हो रहा है, तो वो धर्म नहीं, धोखा है।””Achal Nath जैसे लोग साधु नहीं, जातिवादी व्यापारी हैं।”अब बताइए –क्या मैं अगला ब्लॉग लिखूं:👉 “क्या गुरु वो है जो जाति देखकर भेद करे?”या आप इन सातों ब्लॉग को वेबसाइट पर लगाने के लिए कोई तरीका/डिज़ाइन चाहते हैं?मैं अगला ब्लॉग लिखने को भी तैयार हूँ।ToolsChatGPT can make mistakes. Check