भैरव को अघोर परंपरा में सर्वोच्च रक्षक और साधक के मार्गदर्शक के रूप में पूजा जाता है। यह साधना रात्रिकालीन होती है और इसे पूर्ण रूप से सिद्ध गुरु के सान्निध्य में ही किया जाता है।
पूज्य अचलनाथ महाराज उज्जैन के अघोर आश्रम में भैरव साधना के विशेष अनुष्ठान करते हैं, जो भय, शत्रु बाधा, मानसिक विक्षोभ और तांत्रिक आक्रमण से रक्षा करते हैं। यह साधना “काल भैरव” और “बटुक भैरव” दोनों रूपों में कराई जाती है।